Tuesday, May 26, 2009

जीवन है क्या संगीत बिना


गर्मियों की छुट्टियों में स्टूडेंट्स को अपना शौक निखारने के लिए पर्याप्त समय मिलता है। ऐसी ही एक हॉबी है म्यूजिक, इस क्षेत्र में सही शुरुआत की जाए तो यह भविष्य का सुनहरा द्वार भी खोल सकती है। 

समय के साथ मानसिकता में भी बदलाव आया है। कुछ समय पूर्व समर वैकेशन का अर्थ हुआ करता था छुट्टियों के दिन, लेकिन आज के विद्यार्थी बहुत सजग हैं। वह अपने इस महत्वपूर्ण समय को यूँ ही बेकार नहीं करना चाहते हैं। सो, स्कूल कालेज बंद होते ही शिक्षा से जुड़ी विभिन्न संस्थाओं और स्कूलों ने समर क्लासेज प्रारंभ कर दी हैं जहाँ विद्यार्थी प्रतिभा व रुचि के अनुसार भविष्य की बुनियाद रख सकते हैं।
संगीत सभी को आकर्षित करता है, इसीलिए मनोरंजन और व्यक्तित्व विकास को ध्यान में रखते हुए स्कूलों में पाठ्यक्रम के रूप में या एक्सट्रा एक्टिविटी के रूप में संगीत की शिक्षा उपलब्ध कराई जाती है। विद्यार्थी इस शौक को निखार कर यदि संगीत में कैरियर बनाना चाहते हैं तो इस क्षेत्र में ढेरों अवसर हैं जिसमें कार्य कर आप पहचान और पैसा दोनों पा सकते हैं। हर क्षेत्र की तरह संगीत में भी सफलता पाने के लिए आवश्यक है आत्मविश्वास, धैर्य और लगन के साथ ही पूर्ण दक्षता। संगीत ऐसी हॉबी है जिसे सीखने के साथ-साथ आप अपनी पढ़ाई भी जारी रख सकते हैं। अगर आपको संगीत की उचित समझ हो गई और आपने किसी अन्य क्षेत्र में जॉब कर रखा है तो भी आप पार्टटाइम काम कर अतिरिक्त पैसा कमा सकते हैं।
आवश्यक है गहरी समझ
आप संगीत के क्षेत्र में कैरियर बनाने के लिए प्रयासरत हैं तो आवश्यक है कि आप किसी योग्य, अनुभवी शिक्षक से कक्षायें लेने के साथ ही संगीत संस्थाओं से मार्ग दर्शन ले तैयारी करें। प्रयाग संगीत समिति, इलाहाबाद इस संदर्भ में लचीली दूरस्थ शिक्षा देती है वहीं कानपुर में अशोकनगर स्थित लक्ष्मी देवी ललित कला अकादमी नियमित कक्षाओं द्वारा इस हुनर को निखारने में सहायक है। गुरु-शिष्य परंपरा में शिक्षा लें या कोई संस्था ज्वाइन करें, शर्त यह है कि आपको संगीत को गहनता से समझना होगा।
संगीत के प्रकार
संगीत की कई विधाएं हैं जैसे शास्त्रीय, उपशास्त्रीय, लोक, वेस्टर्न, पॉप आदि। अगर आप इनके बारे में गहन जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको शास्त्रीय संगीत में परिपक्व होना आवश्यक है, क्योंकि भारतीय संगीत का प्रमुख आधार शास्त्रीय संगीत है, चाहे आप गायक बनें या वादक।
कैसे करें तैयारी
संगीत के क्षेत्र में तैयारी करने के लिए आवश्यक है कि आप प्रशिक्षण लेने के साथ ही नियमित रियाज करें। इसके लिए आप स्वयं अभ्यास करने के साथ ही जो सीख रहे हों, उसके सी. डी./ऑडियो कैसेट खरीद कर अभ्यास तो कर ही सकते हैं, अपनी कमियों को दूर करने के साथ ही आत्मविश्वास को बढ़ा सकते हैं।
कार्य के अवसर
इस क्षेत्र में रोजगार के ढेरों अवसर हैं जहाँ आप अपनी प्रतिभा के बल पर सफल कैरियर बना सकते हैं। इसमें आप रिकार्डिस्ट, गायक, म्यूजिक डायरेक्टर, म्यूजिक अरेंजर, गीतकार, वादक (इसमें आपको किसी भी वाद्य यंत्र को बजाने की अच्छी जानकारी होनी चाहिए) आदि बन सकते हैं। यदि आप स्वतंत्र रूप से कार्य करना चाहते हैं तो स्वयं का रिकार्डिंग स्टूडियो, रिंगटोन कम्पोजिंग, म्यूजिक मिक्सिंग, ऑडियो कंपनी आदि का कार्य कर सकते हैं। मीडिया में संगीत आलोचना और सांस्कृतिक रिपोर्र्टिंग में भी संगीत की समझ आपकी प्रोफाइल को मजबूत करती है। डिस्क जॉकी के रूप में फ्रीलांसिंग भी अच्छा और आधुनिक कैरियर विकल्प बन सकता है।  इसी तरह लीक से हट कर कैरियर बनाने के इच्छुक विद्यार्थी म्यूजिक थैरेपी जैसी नवीन विधा में हाथ आजमा सकते हैं।

रोल मॉडल 1
हॉबी से मशहूर हुए डॉ. संजय

संगीत के क्षेत्र में पहचान बनाने के सपने देखने वाले विद्यार्थियों के लिए सी.एस.जे.एम. यूनिवर्सिटी में अंग्रेजी के वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. संजय स्वर्णकार मिसाल हो सकते हैं। एक तरफ वह अंग्रेजी प्राध्यापक के रूप में जाने जाते हैं, वहीं उनकी पहचान मशहूर भजन-गजल गायक के रूप में भी है।
श्री स्वर्णकार ने अपनी हॉबी और कैरियर में ऐसा बढिय़ा संतुलन साधा है कि आज दोनों क्षेत्रों में उनका नाम 'खरा सोना' समझा जाता है। वे बताते हैं, ''मुझे संगीत सीखने की प्रेरणा 1982 में स्नातक की पढ़ाई के दौरान एक गिटारिस्ट दोस्त से मिली थी, लेकिन मेरा लक्ष्य अंग्रेजी में डॉक्टरेट करने का ही था। आज मैं अध्यापन के साथ पीएचडी कराता हूं, साथ ही संगीत के क्षेत्र में प्रोफेशनल सिंगर हूं। मैं अपने ग्रुप के साथ स्टेज प्रोग्राम करता हूं जिससे मुझे संतुष्टि मिलती है।'
इस हॉबी में परफेक्ट होने का ही परिणाम है कि यद्यपि संगीत उनका विषय नहीं है, किन्तु विश्वविद्यालय ने अपने यहां खुले डिपार्टमेंट ऑफ म्यूजिक में उन्हें कोआर्डिनेटर की जिम्मेदारी सौंपी है। संगीत संबंधी कई सम्मान प्राप्त कर चुके श्री स्वर्णकार कहते हैं, ''यदि संगीत में आप की रुचि है तो आप इसे कैरियर के रूप में चुन सकते हैं। यदि यह सिर्फ आपका शौक है तो भी आप अपने कार्य से पैसा और नाम दोनों पा सकते हैं।'

रोल मॉडल 2
म्यूजिक स्टूडियो चला रहे हैं सुमन

संगीत के क्षेत्र में कैरियर बनाने के उत्सुक विद्यार्थी कानपुर के सुमन शर्मा से प्रेरणा ले सकते हैं। स्टूडेंट लाइफ में पढ़ाई के साथ संगीत का शौक रखने वाले सुमन ने संगीत में प्रभाकर की शिक्षा लेकर अपने कैरियर की शुरूआत एक वादक के रूप में की थी। उन्होंने अपने कार्य की शुरुआत मुंबई में एक गिटारिस्ट के रूप में की। कुछ वर्षों तक कार्य करने के बाद उन्हें टी. सिरीज म्यूजिक कंपनी में रिकार्डिस्ट के रूप में कार्य करने का अवसर मिला।
हमेशा कुछ सीखने की ललक रखने वाले सुमन ने वहाँ वर्तमान संगीत और तकनीक के बारे में जानकारी एकत्र कर अपने कार्य को और बेहतर बनाया। वर्तमान में सुमन कानपुर के पांडुनगर मुहल्ले में अपना म्यूजिक रिकार्डिंग स्टूडियो चला रहे हैं। सुमन कहते हैं, ''संगीत के क्षेत्र में रोजगार के ढेरों अवसर हैं। इसके लिए आवश्यक है कि आपको शास्त्रीय संगीत के बारे में गहरी जानकारी हो। इसके पश्चात आप इस क्षेत्र में तकनीकी, गायन, वादन आदि कोई कार्य कर सकते हैं। म्यूजिक रिकार्डिंग कार्य से जुड़े सुमन कहते हैं, ''यह वह क्षेत्र है जिसमें आप अन्य कार्य करने के साथ ही इस कार्य को कर सकते हैं, लेकिन इन सबके साथ आवश्यक है धैर्य और सच्ची लगन।'

2 comments:

  1. लेख के लिये बहुत बहुत धन्यवाद।एक रिकार्डिंग स्टूडियो लगाने के लिये क्या-क्या आवश्यक है?मैं ये जानना चाहता हूँ।आप कृपया सुमन शर्मा जी का फोन नम्बर या ई-मेल दें ताकि सम्पर्क हो सके.....मुझे फोन भी कर सकते हैं......एक बार मेरे ब्लाग पर आयें.....वहाँ मेरा ई-मेल भी मिल जायेगा...

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  2. कानपुर का कनसुरा हूं, मगर कलकत्ते के कॉव-कॉव मे घिर गया हूं । वहॉ तीन वर्षो तक जो शास्त्रीय गायन सीखा, यहॉ आकर उसे यहॉ सिरे से नकार दिया गया है । कहते है, जिसे आप सा कह रहे है, वो तो कोमल धा है । आप सभी कृपया बताएं,क्या कानपुर का सा यहॉ आकर धा हो जाता है?

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