

पनकी हो या पुलिस चौकियां, शहर में हर कहीं दिखते हैं हनुमान मंदिर
इसे लोगों की श्रद्धा कहा जाए या महज संयोग, कि संकट मोचन हनुमान लगभग 48 लाख की आबादी वाले इस शहर के 'दैवी कोतवाल' बने हुए हैं। शहर में छोटे-बड़े मंदिरों की संख्या हजारों में है, लेकिन भौगोलिक स्थिति में नजर डालें तो रामभक्त हनुमान हर मुहल्ले और चौराहे पर विराजे हैं।
कानपुर के हर छोर पर संकट मोचन के प्रतिष्ठित मंदिर हैं, जहाँ पर यहाँ के निवासी ही नहीं बल्कि अन्य प्रदेशों से आये लोगों की आस्था नमन करती है। इनमें आप शोभन गढ़ी, पनकी, जी. टी. रोड स्थित रुमावाले हनुमान, गोल चौराहे के निकट स्थित दक्षिणेश्वर तथा सत्ती चौरा के सालासार वाले बालाजी और किदवई नगर वाले हनुमान मंदिर को गिन सकते हैं। मंदिर छोटा हो या बड़ा, यह भी चमत्कार की बात है कि शहर से जुड़े हर पुलिस स्टेशन और चौकी में हनुमान जी प्रतिष्ठित हैं।
लोग जब भी कोई नया वाहन खरीदते हैं तो सबसे पहले उनकी गाड़ी संकट मोचन की चौखट की ओर दौड़ पड़ती है जहाँ उनका विश्वास टिका है, वह जगह शोभन हो या पनकी। हनुमान जी के इन दरबारों में प्रतिदिन सुबह से ही जयकारे गूंजने लगते हैं जिसका सिलसिला देर रात तक चलता है लेकिन मंगलवार, शनिवार के दिन यहाँ बाहर से आने वाले भक्तों की संख्या हजारों में होती है। 22 वर्षों से पनकी मंदिर में प्रतिदिन मत्था टेकने आ रहे आजाद नगर निवासी सुरेश गुप्ता इस बारे में कहते हैं, ''यह वह दरबार है जहाँ हर मनोकामना पूर्ण होती है। सरकार तो सिर्फ भाव के भूखे हैं, मन में विश्वास है तो यहाँ सब कुछ है। शहर से बाहर हुआ तो कोई बात नहीं अन्यथा सुबह संकट मोचन दर्शन मेरा पहला काम है।' प्रसाद विक्रेता राम किशोर बताते हैं ''मंगल और शनिवार को यहाँ मेले जैसा माहौल होता है। सुबह से शाम तक 20-25 हजार लोग दर्शन कर जाते हैं। औसत निकालें तो यहाँ 15 कुंतल से अधिक प्रसाद चढ़ जाता है जबकि बुढ़वा मंगल जैसे पर्वों में अन्य जिलों से आये भक्तों की भीड़ 70 से 80 हजार की संख्या में होती है।'
इस दिन सुबह से ही लम्बी लाइन दर्शन की प्रतीक्षा में लग जाती है। इस बारे में और जानकारी देते हुए दक्षिणेश्वर मंदिर के पुरोहित अरविन्द शुक्ला कहते हैं, ''कानपुर के कोतवाल तो हनुमान जी ही हैं। वह चारों ओर से शहर की रक्षा कर रहे हैं, वैसे भी कलयुग में इन्हें सर्वाधिक पूज्य होने का आशीर्वाद मिला है।' वह कहते हैं कि यहाँ दिन भर दर्शन करने वालों के आने का क्रम बना रहता है।
परीक्षा के दिन हों या इंटरव्यू की घड़ी, युवाओं में संकट मोचन के प्रति अधिक आस्था देखी जा सकती है। विश्वास के साथ की गई याचना त्वरित स्वीकार होती है। इन दरबारों में आस्था और विश्वास से झुके युवाओं के मस्तक लोगों की इस धारणा को पूरी तरह खारिज कर देते हैं कि 'आज का युवा भक्ति और उपासना से भटक गया है' क्योंकि नगरवासियों के लिए हनुमान जी यदि कानपुर के कोतवाल हैं तो युवाओं के लिए 'कलयुग की सुप्रीम कोर्ट!'