फुलका खाइए, नान खाइए, तंदूरी खाइए, मिस्सी खाइए, घी लगाइए या सूखी खाइए, दाल से खाइए या मटन करी आजमाइए। कुछ भी कीजिए लेकिन हमारी गुजारिश है कि आज रोटी जरूर खाइए। क्या आज वर्ल्ड रोटी डे जैसा कुछ है? नहीं, आज तो है 'दो जून' और यकीनन बचपन से आज तक यह सुनते-सुनते आपके-हमारे कान भर गए होंगे कि 'दो जून की रोटी बड़ी मुश्किल से मिलती है' और 'दो जून की रोटी कमाने के लिए इंसान को क्या कुछ नहीं करना पड़ता है।' वैसे तो दो जून की रोटी का मतलब है दिन में दो समय का भोजन, लेकिन जब आज इस मुहावरे और तारीख का संगम हो ही रहा है तो इसे सेलीब्रेट करने में हर्ज क्या है भइय्ये। कहा भी गया है 'खाने वालों को खाने का बहाना चाहिए!'
Tuesday, June 2, 2009
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हा हा हा....सही है।
ReplyDelete'दो जून' को कहाँ से कहाँ ले आये आप।
दो जून की रोटी की आपको भी बधाईयाँ॥